🇮🇳सेना दिवस
ऋषिकेश, 15 जनवरी। परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में महाकुम्भ के अवसर पर आज 77 वां आर्मी डे मनाया गया। विश्व के अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, कनाडा, स्पेन, ब्राजील, आईलैंड, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, अर्जेटिना, पूर्तगाल, फ्रंास, इटली, मलेशिया आदि कई देशों से महाकुम्भ में आये श्रद्धालुओं और परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमारों ने पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में भारतीय सेना के जज्बे को सलाम करते हुये सेना के जवानों को शुभकामनायें आर्पित की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे देश के जवान, वेतन के लिये नहीं वतन के लिये कार्य करते हैं। स्वामी जी ने भारतीय सेना को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुये कहा कि हमारे सैनिक देश में शांति, समृद्धि और सुरक्षित वातावरण बनाने में योगदान देते हैं। हमारी सेना असाधारण साहस के साथ अपनी सीमाओं की रक्षा करती है। आतंकवाद को नियंत्रित करने में सैनिकों का और अध्यत्मवाद को प्रसारित करने में संतों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
परमार्थ निकेतन परिवार ने महाकुम्भ की धरती से कृतज्ञता के साथ वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। जिन्होंने देश की सेवा में अपने प्राणों की आहुति दी उन्हें आज की गंगा आरती समर्पित की गयी।
स्वामी जी ने कहा कि सेना, भारत की आत्मा का सुरक्षा कवच है। जब तक हमारी सीमाओं पर वीर सैनिक खड़े हैं, हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। भारतीय सेना देश की शान और सुरक्षा का प्रतीक है, जो निरंतर अपनी जान की बाजी लगाकर भारत माता की रक्षा करती है।
स्वामी जी ने कहा कि सैनिक है तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है और हम सब सुरक्षित हैं। भारतीय सेना का हर जवान देश के लिए अपने प्राणों की बलि देने में गर्व महसूस करता है, और यही तो सच्ची देशभक्ति है।
स्वामी जी ने कहा कि सैनिक, वेतन के लिए नहीं, वतन के लिए लड़ते हैं। उनका यह बलिदान और समर्पण राष्ट्र के प्रति उनकी गहरी निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है। सेना दिवस के इस विशेष अवसर पर हम अपने उन वीर सैनिकों को सलाम करते हैं जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत की धरती को सुरक्षित और संजीवनी बनाया।
भारतीय सैनिक अपने देश की रक्षा के लिए हमेशा अग्रणी रहे हैं। अपने अदम्य साहस और बलिदान से देश की रक्षा की है। उनका योगदान केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे हर परिस्थिति में देश के लिए अपने प्राण जोखिम में डालते हैं, चाहे वह प्राकृतिक आपदाएं हों या आतंकी हमले। हमारे सैनिकों का कार्यक्षेत्र हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन उनका जज्बा और समर्पण अभूतपूर्व होता है।
भारत की भूमि न केवल संतों और ऋषियों की तपोभूमि है, बल्कि यह शौर्य और वीरता की कहानियों से भी भरी हुई है। भारतीय सेना ने हमेशा युद्ध के मैदान में अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है। भारतीय सेना के वीरों की गाथाएँ हर भारतीय के दिल में बसी हैं।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे सैनिकों का जीवन साधारण जीवन नहीं होता। यह त्याग, बलिदान और राष्ट्रप्रेम की कहानी है। वे अपने प्राणों को हथेली पर रखकर अपने देश की रक्षा करते हैं। उनके जीवन में न तो आराम होता है और न ही उनका जीवन आसान है। वे मुश्किल हालातों में भी अपने मिशन को पूरा करने के लिए दृढ़ रहते हैं। भारतीय सेना का हर जवान अपने कर्तव्य को निभाने के लिए हमेशा तैयार रहता है, चाहे वह शांति मिशन हो या युद्ध का समय।
स्वामी जी ने कहा कि सैनिक, केवल एक योद्धा नहीं होते, बल्कि वे एक तपस्वी भी हैं, जो कठिनाइयों और कष्टों को सहते हुए अपने कर्तव्यों को निभाते हैं। संत, संस्कृति की रक्षा करने के लिए अपने तपोबल से समाज को दिशा दिखाते हैं, वहीं सैनिक, सीमाओं की रक्षा कर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। भारतीय सैनिकों का जीवन एक तपस्वी की तरह है।
हम भारतीयों का कर्तव्य है कि हम अपने सैनिकों की वीरता को सम्मान दें और उनके बलिदानों को कभी न भूलें।
भारत की सेना हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति है। यह वह बल है जो हमें अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा का अहसास दिलाता है। भारतीय सेना का हर जवान शौर्य, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक है। 77वें आर्मी डे के इस अवसर पर हम भारतीय सेना के सभी वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उन्हें हार्दिक बधाई हैं। हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है कि हम अपने सैनिकों का सम्मान करें सैनिक है तो हम हैं, हमारा अस्तित्व है और हम सब सुरक्षित हैं। जय हिंद!