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प्रकाश पर्व’ गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान, उनकी शिक्षाओं और उनके द्वारा दिए गए महान संदेशों  का उत्सव  है : स्वामी चिदानंद सरस्वती


ऋषिकेश, 6 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्रकाश पर्व के अवसर पर वीर बलिदानी गुरूगोविंद सिंह जी को श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि भारत की गौरवपूर्ण धरोहर, अस्मिता और गरिमा को बचाने के लिये गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उनके जीवन और शिक्षाओं का प्रभाव न केवल सिख समुदाय पर, बल्कि समग्र भारतीय समाज पर दिखायी पड़ता है। ऐसे बलिदानियों के संघर्ष के कारण ही आज हम एक मजबूत और गौरवपूर्ण राष्ट्र के रूप में खड़े हैं।
गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने जीवन में धार्मिक अत्याचारों और शोषण के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने मुगल साम्राज्य और अन्य शासकों के अत्याचारों का विरोध किया और अपने अनुयायियों को धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया। उनकी सबसे बड़ी जीत यह थी कि उन्होंने न केवल युद्धों में भाग लिया, बल्कि सिखों को आत्मविश्वास और संघर्ष की भावना दी। उनका जीवन एक प्रेरणा है कि किसी भी संघर्ष में धर्म और सत्य की रक्षा के लिए हमें कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।


गुरु गोविंद सिंह जी ने समानता, भाईचारे और इंसानियत के मूल्यों को सर्वोच्च स्थान दिया। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया कि सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म या रंग कुछ भी हो। उनका यह आदर्श आज भी समाज में प्रासंगिक है और हमें हर व्यक्ति के साथ समानता, सम्मान और आदरपूर्ण व्यवहार करने की प्रेरणा देता है।
आज का दिन ’’प्रकाश पर्व’’ गुरु गोविंद सिंह जी के बलिदान, उनकी शिक्षाओं और उनके द्वारा दिए गए महान संदेशों का उत्सव है। प्रकाश पर्व पर हम गुरु गोविंद सिंह जी की शिक्षाओं को पुनः जीवंत व जागृत करें ताकि आगे आने वाली पीढ़ियाँ उनके आदर्शों को अपने जीवन में लागू कर सकें। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें हर दिन अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करना है।
गुरु गोविंद सिंह जी ने राष्ट्र के प्रति प्रेम और समर्पण की प्रेरणा दी और अपने देश को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयास करने हेतु प्रेरित किया। हमारा हर दिन ऐसा हो कि देश में एक नया सूर्य उदय हो, एक नई शुरुआत हो।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गुरू नानक देव जी से लेकर दसवें गुरू, गुरूगोबिंद सिंह जी ने जीवन के बड़े ही प्यारे मंत्र दिये। ’’नाम जपना, हमेशा ईश्वर का सुमिरन करना, किरत करना और ईमानदारी से आजीविका अर्जित करना। वंड छकना, अर्थात दूसरों के साथ अपनी कमाई साझा करना, जरूरत मंदों को दान देना एवं उनकी देखभाल करना। वास्तव में यही जीवन जीने व सेवा करने का माध्यम है। ईमानदारी से जीवन जीना, अपराध से दूर रहना और प्रकृति के अनुरूप जीना यही सच्चा धर्म है।

स्वामी जी ने कहा कि हर क्षण प्रभुनाम का सुमिरण करना, अपने आध्यात्मिक एवं लौकिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए सदाचारी एवं सत्यनिष्ठ जीवन जीने की शिक्षा गुरू गोबिंद सिंह जी ने दी इसे आत्मसात करने की जरूरत है।

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