Uttarakhand

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने महाकुम्भ के पावन अवसर पर भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का किया दिव्य अभिनन्दन

माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने की भारत में शान्ति, समृद्धि और सद्भाव की प्रार्थना
प्रयागराज। महाकुम्भ के ऐतिहासिक और दिव्य अवसर पर, भारत की राष्ट्रपति, परम आदरणीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने प्रयागराज में पधारकर इस महापर्व की गरिमा और श्रद्धा को और भी बढ़ा दिया। महाकुम्भ की पवित्र धरती पर उनका स्वागत और अभिनन्दन सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए गर्व की बात है।
भारत की माननीय राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने महाकुम्भ के दौरान भारतीय संस्कृति, सभ्यता और सनातन धर्म के अद्वितीय महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने इस अवसर पर देशवासियों के लिये शांति, समृद्धि और सद्भाव की कामना करते हुए समग्र मानवता के कल्याण की प्रार्थना की जो भारतीयता की आस्था, एकता और विविधता का प्रतीक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक महापर्व नहीं है, बल्कि यह एक सशक्त समाज और राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा भी है। हमारा देश एकता में अपार शक्ति रखता है। महाकुम्भ जैसे आयोजनों के माध्यम से हम यह संदेश देते हैं कि भारत की आत्मा में शांति, समृद्धि और सद्भाव बसता है।
महाकुम्भ, भारत की संस्कृति और परंपराओं की महानता के दर्शन कराता है। हम भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संजोते हुए एक समृद्ध और सुखमय समाज की स्थापना करें।
स्वामी जी ने कहा कि माननीय राष्ट्रपति जी के इस पवित्र आगमन ने भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति उनके गहरे सम्मान के दर्शन पूरे विश्व को कराया है।

स्वामी जी ने प्रयागराज एयरपोर्ट पर संत समाज की ओर से एक भावनात्मक विदाई देते हुये उन्हें अंग वस्त्र, भगवान शिव की दिव्य मूर्ति और इलायची की माला भेंट की।
राष्ट्रपति जी ने देशवासियों के दिलों में भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़ते हुए, सभी को शांति, समृद्धि और सद्भाव की दिशा में अग्रसर होने की प्रेरणा देगी।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *