26 अगस्त 2021। पतंजलि विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में वार्षिकोत्सव ‘अभ्युदय’ का आयोजन माननीय कुलाधिपति योगऋ़षि स्वामी रामदेव जी एवं यशस्वी कुलपति परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी की पावन उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। इसके साथ ही अपने-अपने पाठ्यक्रमों को पूरा कर चुके स्नातकों का समावर्तन संस्कार भी हुआ। वि.वि. के माननीय प्रतिकुलपति, परामर्शदात्री समिति के महामंत्री, कुलानुशासिका, सह कुलानुशासक, परीक्षा नियंत्रक एवं वित्त अधिकारी सहित विद्वज्जनों की उपस्थिति में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। अभ्युदय का कार्यक्रम प्रातः यज्ञ से लेकर सायं काल तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा हुआ।
इस अवसर पर वि.वि. के कुलगीत एवं अभ्युदय गीत की भी प्रस्तुति हुई। इसके पश्चात् एकल एवं समूह नृत्य, एकल एवं समूह गायन, भाषण, काव्य प्रस्तुति, नाट्य प्रस्तुति, जटिल आसनों का अदभुत् प्रदर्शन सहित अनेक मनमोहन सांस्कृतिक प्रस्तुतियां सम्पन्न हुई।
इस अवसर पर मूर्धण्य विद्वानों एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विद्यार्थियों को विचार पाथेय भी प्राप्त हुआ। माननीय प्रति कुलपति डाॅ0 अग्रवाल जी ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें अन्दर की असीमित सम्भावनाओं को जगाकर वैदिक संस्कृति का राजदूत बनकर पूरे विश्व में जाने का मार्गदर्शन दिया। स्वामी परमार्थदेव जी ने विद्यार्थियों को अपना आशीर्वाद प्रदान करते हुए अनवरत अखण्ड-प्रचण्ड पुरूषार्थ करने की प्रेरणा दी।
पाठ्यक्रम समन्वयक डाॅ0 निधीश यादव जी, डाॅ0 संजय जी, श्री चन्द्रमोहन जी ने ‘चरैवेति-चरैवेति’ का संदेश देकर अपने विद्यार्थियों को अनवरत प्रगति पथ पर चलने हेतु अभिप्रेरित किया एवं सदैव मार्गदर्शन देते रहने का वचन भी दिया। संकायाध्यक्ष प्रो0 कटियार जी ने सीखे गये विषयों को समाज में जाकर बांटने हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया। वि.वि. की कुलानुशासिका डाॅ0 साध्वी देवप्रिया जी ने भी विद्यार्थियों को अपना आशीष प्रदान किया तथा उन्हें संकल्प व पुरूषार्थ से हमेशा कुछ सृजनात्मक करने हेतु प्रेरित किया। इस अवसर पर वरिष्ठ सी0 ए0 श्री गिरीश आहूजा जी ने भी बच्चों को आशीर्वाद दिया।
वि.वि. के कुलपति एवं बच्चों के अभिभावक श्रद्धेय आचार्य जी ने स्नातकों से आगे बढ़कर समाज की अहर्निश सेवा हेतु आग्रह किया तथा सभी विद्यार्थियों से उनकी योग्यतानुसार प्लेसमेंट की भी बात कही।
कार्यक्रम के पूर्वाह्न सत्र में माननीय कुलाधिपति पूज्य स्वामी ने कहा कि यहां से जो नये स्नातकों का समूह तैयार होकर निकल रहा है वह निश्चित रूप से विश्व में ज्ञान का प्रवाह करेंगे। उन्होंनेे विद्यार्थियों को सिद्धांतों के अनुरूप अपने पुरूषार्थ से नया-नया सृजन करने की प्रेरणा देते हुए उनसे समाज में योग के अनुप्रयोग करने पर बल दिया।
अपने-अपने पाठयक्रमों को पूरा कर चुके विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय में बिताये गये अविस्मणीय पलों को इस अवसर पर साझा किया। कार्यक्रम की सभी प्रस्तुतियां राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत रही। विभिन्न भारतीय वाद्य यंत्रों के साथ विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीत व भजन आदि की प्रस्तुतियाँ भी दी। स्नातकों ने अपने ऋषिद्वय के साथ समूह फोटो भी खिंचवाये। राष्ट्र धर्म से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां देखकर विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक काफी अभिभूत हुए।
कार्यक्रम के समन्वयक एवं योग विज्ञान के प्राध्यापक डाॅ0 नरेंद्र सिंह जी ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया एवं बच्चों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं प्रदान की।