
-राष्ट्रीय ध्वज दिवस : तिरंगे का सम्मान, भारत का स्वाभिमान
-तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि भारत माता का गौरव : स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। 22 जुलाई को परमार्थ निकेतन में गर्व और श्रद्धा के साथ राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाया गया। यह दिन भारत के तिरंगे के प्रति सम्मान प्रकट करने, उसकी गौरवशाली विरासत को याद करने और प्रत्येक नागरिक के भीतर देशभक्ति की भावना को सशक्त करने का दिन है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, यह हमारी पहचान, हमारे बलिदानों, और हमारे आदर्शों का प्रतीक है। यह रंगों और प्रतीकों से सजा हुआ एक ऐसा प्रेरणास्रोत है जो हर भारतवासी के मन में राष्ट्रप्रेम की भावना को जागृत करता है।
राष्ट्रीय ध्वज दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और परमार्थ गुरूकुल के आचार्यों व ऋषिकुमारों ने तिरंगा लहराकर तिरंगे के प्रति श्रद्धा और संकल्प के साथ जुड़ने का आह्वान किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि तिरंगा केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं, यह भारत माता का मुकुट है। यह उन शहीदों की अंतिम साँस है जिन्होंने हँसते-हँसते अपने प्राण मातृभूमि के चरणों में समर्पित कर दिए। तिरंगे का प्रत्येक रंग हमारी आत्मा से जुड़ा हुआ है, केसरिया साहस का, सफेद शांति का और हरा समृद्धि का प्रतीक है। अशोक चक्र हमें निरंतर प्रगति और धर्म के पथ पर चलने की प्रेरणा देते हंै। तिरंगे का सम्मान भारत के स्वाभिमान का सम्मान है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सम्मिलित हर रंग और प्रतीक एक गहरी राष्ट्रीय चेतना को दर्शाता है। केसरिया रंग, यह त्याग, बलिदान और साहस का प्रतीक है। यह हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों की याद दिलाता है जिन्होंने अपनी जान देकर भारत को आजाद कराया। श्वेत रंग, शांति, सत्य और पवित्रता का प्रतीक, यह हमें गांधीजी की अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। हरा रंग, यह समृद्धि, हरियाली और विकास का प्रतीक है जो भारत के कृषिप्रधान स्वरूप को दर्शाता है। अशोक चक्र 24 तीलियों वाला यह नीला चक्र धर्म, न्याय और सतत प्रगति का प्रतीक है, जो हमें कर्म करते रहने की प्रेरणा देता है।
स्वामी जी ने अपने संदेश में विशेष रूप से युवाओं से आह्वान किया कि वे तिरंगे को केवल उत्सव का प्रतीक न मानें, बल्कि इसे अपनी सोच, कार्य और चरित्र में उतारें। उन्होंने कहा कि हर घर तिरंगा तो हुआ, अब हर दिल तिरंगा होना चाहिए। जब तक हमारे विचार, व्यवहार और उद्देश्य राष्ट्रहित में नहीं होंगे, तब तक तिरंगे का वास्तविक सम्मान नहीं हो सकता।
स्वामी जी ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज दिवस हमें केवल अतीत की याद नहीं दिलाता, बल्कि भविष्य की दिशा भी दिखाता है। यह हमें हमारी जड़ों, हमारी जिम्मेदारियों और हमारी एकता की शक्ति का बोध कराता है। आज जब हम तिरंगे को श्रद्धा से नमन करते हैं, तो यह केवल एक ध्वज को नहीं, बल्कि भारत माता के गौरव, हमारे बलिदान और हमारी उम्मीदों को नमन होता है। आज की परमार्थ गंगा आरती भारत माता को समर्पित की गयी। गंगा जी की आरती के दौरान तिरंगा लहराकर देवभक्ति व देशभक्ति का संदेश दिया।