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लोकमानिलाल एवं दयाकांति देवी पुरस्कार-2025*
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शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान हेतु सम्मान समारोह*
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मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य*
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राष्ट्रीय पत्रकार दिवस पर सभी पत्रकारों के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ*
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भारत का भविष्य कक्षाओं में बैठा हर विद्यार्थी*
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
प्रयागराज/ऋषिकेश। महार्षि पतंजलि समूह के प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा आयोजित “लोकमानिलाल एवं दयाकांति देवी पुरस्कार-2025” का दिव्य एवं प्रेरणादायी आयोजन आज विवेकानंद ऑडिटोरियम, एमपीवीएम, गंगा गुरुकुलम्, प्रयागराज में संपन्न हुआ। यह पुरस्कार उन शिक्षकों, शिक्षाविदों और संस्थानों को समर्पित है जिन्होंने भारतीय ज्ञान, परंपरा, संस्कार, समृद्ध शिक्षा और आधुनिक विज्ञान के समन्वय से समाज में विशिष्ट योगदान दिया है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, अध्यक्ष परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश ने अपने मंगल आशीष देते हुए कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल जानकारियों का संचय नहीं, अपितु ज्ञान, विवेक, सेवा, चरित्र और संस्कार का समन्वय है। उन्होंने कहा कि सनातन भारत ने सदियों से ‘विद्या ददाति विनयम्’ के आदर्श पर दुनिया को मार्ग दिखाया है। यहाँ शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका नहीं, अपितु जीवन का उत्थान है, मनुष्य को मानव से महात्मा बनाने का पावन प्रयास है। 
पूज्य स्वामी जी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी ऊर्जा को राष्ट्रनिर्माण, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति, सेवा और मानवता के कल्याण में लगाएँ। उन्होंने कहा “भारत का भविष्य कक्षाओं में बैठा हर विद्यार्थी है। हमारे युवाओं में दिव्यता है, क्षमतायें है और परिवर्तन का सामथ्र्य है। आवश्यकता है उन्हें सही दिशा, संस्कार और प्रेरणा प्रदान करते की।”
राष्ट्रीय पत्रकार दिवस के पावन अवसर पर स्वामी जी ने सभी पत्रकार बंधुओं केा हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुये कहा कि पत्रकारिता केवल पेशा नहीं, बल्कि सत्य, नैतिकता और समाज सेवा का पवित्र मार्ग है। पत्रकार समाज में जागरूकता, पारदर्शिता और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व के स्तंभ हैं। उनका कार्य केवल खबर पहुँचाना नहीं, बल्कि समाज को सही दिशा, आदर्श और मूल्य प्रदान करना है। आइए हम सभी पत्रकारों के समर्पण और प्रयासों का सम्मान करें और उनके माध्यम से समाज में सत्य, नैतिकता और राष्ट्र निर्माण के मूल्यों को प्रोत्साहित करें।
विशिष्ट अतिथि श्री अनिल कुमार जैन जी ने शिक्षा क्षेत्र में एमपीवीएम समूह के योगदान की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुये कहा कि आज जब विश्व मूल्य, संकट से गुजर रहा है, तब भारतीय संस्कृति आधारित शिक्षा ही वह आधार है जो युवा पीढ़ी को स्थिरता, समृद्धि और आदर्शों से जोड़ सकती है।
कार्यक्रम में प्रोफेसर कृष्णा गुप्ता, सचिव, एमपीवीएम समूह, प्रसिद्ध उद्योगपति व समाजसेवी श्री विनोद बागरोडिया जी, श्री रविंदर कुमार गुप्ता जी, श्री यशोवर्धन गुप्ता जी तथा वरिष्ठ शिक्षाविदों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लोकमानिलाल एवं दयाकांति देवी पुरस्कार का उद्देश्य शिक्षा के उन अनदेखे नायकों को सम्मानित करना है, जो निःस्वार्थ भाव से विद्यार्थियों में ज्ञान, अनुशासन, विज्ञान, दृष्टि और मानवीय मूल्यों का संचार कर रहे हैं। श्री यशोवर्धन ने आगामी शैक्षिक योजनाओं व संस्थान के सांस्कृतिक, वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
महार्षि पतंजलि समूह के संस्थानों, विशेषतः एमपीवीएम, गंगा गुरुकुलम् और महार्षि पतंजलि ग्रुप ऑफ स्कूल्स, ने सदैव भारतीय मूल्य, आधारित आधुनिक शिक्षा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। यहाँ योग, ध्यान, संस्कृति, विज्ञान, नवाचार और चरित्र, निर्माण को समान महत्त्व दिया जाता है। यही कारण है कि विद्यार्थी न केवल शैक्षणिक परिणामों में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि जीवन, मूल्यों, सेवा, भाव, पर्यावरण चेतना और सामाजिक उत्तरदायित्व के मार्ग पर भी अग्रसर हैं।
कार्यक्रम के दौरान पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों व विद्वानों को सम्मानित करते हुए कहा कि गुरुकुल परंपरा से लेकर आधुनिक शिक्षण, प्रणाली तक, भारत ने पूरे विश्व को सदैव ज्ञान का प्रकाश दिया है। आज आवश्यकता है कि इस परंपरा को युवाओं तक पहुँचाया जाए, ताकि वे नई तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, विज्ञान और नवाचार के साथ साथ अपने संस्कार, संस्कृति और राष्ट्रीय चरित्र को भी सुदृढ़ रखें।
पूरे समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, वैदिक मंत्र, उच्चारण और प्रेरणादायी वचनों ने एक आध्यात्मिक एवं उत्साहपूर्ण वातावरण का सृजन किया। उपस्थित जन समुदाय ने संकल्प लिया कि वे शिक्षा के माध्यम से समाज को उच्चतर दिशा देने में अपना योगदान देंगे।
कार्यक्रम का सफल संचालन विद्यालय परिवार द्वारा किया गया। अंत में सभी अतिथियों एवं शिक्षकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया गया कि यह पुरस्कार परंपरा आगे भी शिक्षकों और युवाओं को प्रेरित करती रहेगी, तथा भारतीय ज्ञान विज्ञान और सनातन संस्कृति की ज्योति विश्व में और अधिक उज्ज्वल होगी।
इस अवसर पर सोनिया दत्त, डॉ. उर्वशी साहनी, चारु सेठ, सौम्या तनेजा को पुरस्कृत किया गया।
