हैहयवंश की परंपराएँ केवल इतिहास नहीं, बल्कि सनातन वैदिक संस्कृति का गौरव: डॉ. संतोषानंद देव
सुदर्शन चक्रावतार भगवान सहस्त्रार्जुन महाराज के वंशजों का भव्य आध्यात्मिक समागम सम्पन्न
सहस्त्रार्जुन महाराज वंश की गौरवगाथा पुनः हुई जीवंत
हरिद्वार। राजस्थान के पाली हैहयवंशीय, सुदर्शन चक्रावतार भगवान सहस्त्रार्जुन महाराज के वंशजों का भव्य धार्मिक समागम अत्यंत श्रद्धा, आस्था एवं परंपरा के दिव्य वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस समारोह में हैहय क्षत्रिय, कलवार– कलाल– कलार समाज के कुलगुरु, विश्वविख्यात धर्माचार्य, अवधूत मंडल पीठाधीश्वर, महा-मण्डलेश्वर डॉ. 1008 स्वामी संतोषानंददेव महाराज (अवधूत शिरोमणि हिमालय वाले) का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन किया गया। इस विशाल समारोह में जायसवाल, राय, चौकसे, चौधरी, वालिया, अहलूवालिया, भण्डारी, कंबोज, नेवाला, तायर, गोंड, सूर्यवंशी सहित अनेक कुलों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
गुरुवार को श्री अवधूत मंडल आश्रम पहुंचने पर भक्तों ने भव्य स्वागत किया। इस मौके पर महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी संतोषानंद देव महाराज ने कहा—“हैहयवंश की परंपराएँ केवल इतिहास नहीं, बल्कि सनातन वैदिक संस्कृति का गौरव हैं। सहस्त्रार्जुन महाराज के आदर्श आज भी समाज को एकता, शौर्य, सेवा और धर्मपालन का मार्ग दिखाते हैं।”उन्होंने समाज को शिक्षा, संस्कार, समानता, सुरक्षा और अध्यात्म के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ने का रणादायी संदेश दिया। स्वामी संतोषानंद देव महाराज ने कहा कि समारोह में देशभर के विभिन्न आश्रमों एवं शाखाओं से पधारे संत–महापुरुषों ने भगवान सहस्त्रार्जुन महाराज की महिमा, पराक्रम और आध्यात्मिक धरोहर का सामूहिक गुणगान किया। कार्यक्रम में वैदिक मंत्रोच्चार, सामूहिक आरती, भजन– संकीर्तन तथा विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन विधि–विधान के साथ किया गया। स्वामी संतोषानंददेव जी महाराज ने राष्ट्र, समाज और सनातन धर्म की समृद्धि, सुरक्षा एवं वैश्विक मंगल हेतु विशेष प्रार्थना की।
