देवभूमि उत्तराखंड़ के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर केंद्रित लेखिका संभावना पंत द्वारा संकलित पुस्तकों ’पुष्कर धामी हिमालय की जीवंत ऊष्मा का लोकार्पण
उत्तराखंड़ के माननीय राज्यपाल ले ज श्री गुरमीत सिंह जी के कर कमलों से सम्पन्न
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, श्री कल्कि पीठाधीश्वर, आचार्य श्री प्रमोद कृष्णम जी, स्वामी ऋषिश्वरानन्द जी का पावन सान्निध्य
माननीय पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड़, भगत सिंह कोश्यारी जी, श्री दीवाकर जी, लेखिका संभावना पंत जी की गरिमामयी उपस्थिति
रूपा पब्लिकेशन और प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कृति
राजभवन, देहरादून। देवभूमि उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के प्रेरणादायी व्यक्तित्व और राष्ट्रनिर्माण के प्रति उनके समर्पित कृतित्व पर लेखिका संभावना पंत द्वारा संकलित महत्वपूर्ण कृतियों ‘पुष्कर धामी- हिमालय की जीवंत ऊष्मा’ का आज भव्य लोकार्पण सम्पन्न हुआ।
इस पावन अवसर पर उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) श्री गुरमीत सिंह जी ने अपने कर-कमलों से पुस्तकों का विमोचन किया। कार्यक्रम में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी तथा श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य श्री प्रमोद कृष्णम जी का दिव्य सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
लोकार्पण समारोह में उत्तराखण्ड के पूर्व माननीय मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी जी, स्वामी ऋषिश्वरानन्द जी, श्री कृष्णगिरि जी, श्री दीवाकर जी, प्रमुख सचिव श्री आर. के. सुधांशु जी, कमिश्नर गढ़वाल श्री विनय शंकर पाण्डेय जी, माननीय सांसद श्री नरेश बंसल जी, माननीय मंत्री श्री गणेश जोशी जी, विधायक श्री ब्रजभूषण जी, विधायक श्रीमती सविता कपूर जी, राज्यसभा सांसद श्रीमती कल्पना सैनी जी, उत्तराखण्ड महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती कुसुम कंडवाल जी तथा लेखिका संभावना पंत जी की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी प्रेरक एवं ऐतिहासिक बना दिया।
उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल श्री गुरमीत सिंह जी ने लेखिका संभावना पंत जी को धन्यवाद देते हुए कहा कि बेटियाँ प्रभु का ‘डिवाइन गिफ्ट’ होती हैं। उन्होंने इस अवसर पर अपनी पोस्टिंग के दौरान श्री पुष्कर सिंह धामी जी के पिता से हुई भेंटवार्ताओं का भी उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि यदि हम किसी बात को प्रलेखित (डॉक्यूमेंट) नहीं करते, तो वह ‘रात गई, बात गई’ की तरह खो जाती है, इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि हम पुस्तकों के माध्यम से इतिहास और अनुभवों को संजोएँ। माननीय मुख्यमंत्री जी का जन्म जिस कालखंड व जिस स्थान पर हुआ, वह संघर्ष का समय था।
राज्यपाल महोदय ने कहा कि जीवन स्वयं संकेत देता है कि हमें किस दिशा में जाना है। यदि हमारे भीतर एक पवित्र अग्नि, एक प्रेरणा जागृत हो, तो प्रभु भी मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि पुष्कर सिंह धामी जी में पाँच ऐसी विशेषताएँ हैं, जिन्हें हम सभी को सीखना चाहिए, वे एक फ्रंटलाइन लीडर हैं, जहाँ भी आपदा आई, वे सबसे पहले पहुँचे। उनके संस्कार और आत्म-अनुशासन (सेल्फ-डिसिप्लिन) अद्भुत हैं। वे सबकी बात अत्यंत ध्यानपूर्वक और संवेदनशीलता से सुनते हैं। वे कठोर निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं और हर महत्वपूर्ण विषय को जमीनी स्तर पर जाकर स्वयं परखते हैं। उनके भीतर अद्भुत नम्रता है, जो हम सभी में होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि गुरू गोविंद सिंह जी ने मानव जीवन में चार गुणों को आवश्यक बताया है नम्रता, साधारणता, करुणा और मासूमियतय और ये चारों गुण माननीय पुष्कर सिंह धामी जी में विद्यमान हैं।
माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा कि लेखिका संभावना पंत जी मेरी माताजी से मिलीं और उनके द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार इस कृति की रचना की। उन्होंने बताया कि जब मैं चार वर्ष का था, तब हमने अपना गाँव छोड़ दिया था। उन दिनों को स्मरण करते हुए उन्होंने वहाँ की गाड़-गदेरों पर बने रास्तों को याद किया।

इस अवसर पर उन्होंने समय-प्रबंधन पर भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि मैं क्या बनूँगा, परन्तु एक ऊष्मा, एक आंतरिक प्रेरणा, सदैव रही कि कुछ न कुछ अवश्य करूँगा।
माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में देश में प्रथम स्थान पर है। इस संदर्भ में उन्होंने उत्तराखण्ड में हुए नवाचारों का भी उल्लेख किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखण्ड की पावन धरती शूरता, शौर्य, त्याग और अदम्य तपस्या की धरती है, जहाँ हिमालय की ऊँचाइयों की तरह ही यहाँ के वीरों का साहस और संकल्प सदैव ऊँचा रहा है। यह उत्तराखण्ड का सौभाग्य है कि इस धरती को माननीय राज्यपाल श्री गुरमीत सिंह जी तथा माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी जैसे व्यक्तित्व प्राप्त हुए हैं।
स्वामी जी ने कहा कि “पढ़ने वाले क्या समझेंगे कि किस तरह कहानी ढलती है शायद अनुभव को परिचय हो कि किस तरह जवानी जलती है।” जवानी को किसी ऊँचे लक्ष्य के लिये समर्पित करना आन्तरिक ईमानदारी के बिना सम्भव नहीं है। स्वभाव में क्रियाशीलता हो, निर्णय में कठोरता हो परन्तु कटुता न हो, यही जीवन का लक्ष्य है।
माननीय प्रधानमंत्री जी जो कुछ भी करते हैं, वह लोभ के लिये नहीं, ‘लोक’ के लिये करते हैं। निर्णय लेते समय यदि नियत और नीति दोनों शुद्ध हों, तो परिणाम स्वभावतः सभी के हित में होते हैं।
‘हिमालय की जीवंत ऊष्मा’ में एक सच्चाई और ऊँचाई निहित होती है, उसी सच्चाई और ऊँचाई को हमने माननीय पुष्कर सिंह धामी जी के व्यक्तित्व में देखा है।
एक होता है, मैं अपने परिवार के लिये कितना बेहतर कर सकता हूँ, और दूसरा होता है, मैं अपने राज्य के लिये क्या-क्या कर सकता हूँ। यही महान भावना हमारे धामी जी में दिखाई देती है।
श्री कल्कि पीठाधीश्वर, आचार्य श्री प्रमोद कृष्णम जी ने कहा कि उत्तराखंड़ वह पवित्र भूमि है जहां पर पांच धाम स्थापित है। चार धाम सभी जानते है परन्तु मेरे लिये सनातन की रक्षा करने वाले श्री गुरूगोविंद सिंह जी की तपोस्थली श्री हेमकुण्ड साहेब को भी पंचवा धाम मानता हूं। जहां पांच धाम स्थित हैं, वहां के यशस्वी, कर्मठ, न्यायप्रिय सादगी से ओतप्रोत जीवन जीने वाले पुष्कर सिंह धामी जी के जीवन पर लिखी कृति वास्तव में ऊष्मा देने वाली है।
उन्होंने कहा कि जो सत्य को सरलता से सादगी के साथ सहर्ष स्वीकार करता है वह साधु है, साधु होना तिलक लगाना, पोशाक पहनना, मंत्रों को कंठस्थ करने का विषय नहीं है और ऐसे ही साधु है हमारे श्री पुष्कर सिंह धामी जी। इस अवसर पर उन्होंने लेखिका संभावना पंत जी, रूपा पब्लिकेशन और प्रभात प्रकाशन को उन्होंने धन्यवाद दिया।

रूपा पब्लिकेशन और प्रभात प्रकाशन द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित यह कृति उत्तराखण्ड के विकास, युवा नेतृत्व, सुशासन और समर्पण के जीवंत प्रतीक माननीय श्री पुष्कर सिंह धामी जी के जीवन-दृष्टिकोण तथा कार्य-शैली का संवेदनशील दस्तावेज है।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी विशिष्ट अतिथियों ने इस प्रकाशन को उत्तराखण्ड के उदीयमान नेतृत्व और हिमालयी मूल्यों से प्रेरित जनसेवा की भावना का महत्वपूर्ण स्रोत बताया।
