हरिद्वार: उत्तराखंड में धर्मांतरण रोकने का कानून बनाए जाने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हर्ष जताया है। अखाड़ा परिषद और मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कानून को वक्त की जरूरत बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धर्मांतरण रोकने का कानून बनाकर इतिहास रच दिया है।
निरंजनी अखाड़ा में प्रेस को जारी बयान में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि उत्तराखंड में धर्मांतरण रोकने का कानून अब उत्तर प्रदेश की तुलना में अधिक सख्त हो गया है। इस सिलसिले में धामी सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम में कड़े प्रविधान किए हैं। इसी कड़ी में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक सदन में पेश किया। इसमें कानून का उल्लंघन करने पर सजा और कारावास, दोनों में वृद्धि की गई है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में सजा का प्रविधान 10 साल तक करने के साथ ही अधिकतम जुर्माना राशि 50 हजार रुपये की गई है। यही नहीं, धर्मांतरण के पीडि़त को आरोपित द्वारा पांच लाख रुपये तक का समुचित प्रतिकर भी न्यायालय दिला सकेगा। श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि संत समाज सनातन धर्म की रक्षा के लिए लंबे समय से यह मांग उठाता आ रहा था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाद अब देवभूमि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी धर्मांतरण रोकने का कानून बनाकर ऐतिहासिक कार्य किया है। अब प्रदेश में धोखे और लालच देकर धर्म बदलवाने का खेल नहीं चलेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस कानून को बनाने के लिए बधाई के पात्र हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी लगातार ऐतिहासिक फैसले ले रहे हैं। महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण का निर्णय भी सराहनीय और स्वागत योग्य है।