सनातन धर्म में साधु संतों द्वारा देशभर में भ्रमण कर हिंदू संस्कृति का प्रचार किया जाता है और इसके लिए सभी अखाड़ों द्वारा महामंडलेश्वर बनाने की परंपरा है महामंडलेश्वर पद पर नियुक्त होकर साधु संत धर्म का प्रचार करते हैं आज पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के नेतृत्व में आनंद अखाड़े ने भोलागिरी आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को महामंडलेश्वर बनाया भोलागिरी आश्रम में हुए इस कार्यक्रम में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज निरंजनी अखाड़े के सचिव रविन्द्र पुरी और अखाडा परिषद अध्यक्ष श्रीमहन्त नरेंद्र गिरि महामंत्री हरिगिरि व अन्य संतों ने चादर उड़ाकर पट्टाभिषेक करते हुए महामंडलेश्वर पद पर अभिशप्त किया
निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशनन्द गिरि महाराज द्वारा भोलागिरी आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को महामंडलेश्वर बनाने की प्रक्रिया की गई आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी महाराज का कहना है कि भोलागिरी आश्रम के महंत आनंद अखाड़े के आचार्य थे आज उसी स्थान पर स्वामी तेजसानन्द सरस्वती को मेरे द्वारा आनंद अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया है इनका कहना है कि स्वामी तेजसानन्द सरस्वती विद्वान संत है इनके द्वारा भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जाएगा निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बनने के बाद मेरे द्वारा पहले महामंडलेश्वर बनाने का अवसर मुझे मिला है