पहड़िया मंडी से लेकर बाजारों में हानिकारक चीन का लहसुन बेचा जा रहा है। पूर्वांचल में प्रतिदिन 10 टन की खपत है। नेपाल के जरिये ट्रेनों और सड़क मार्ग से इसे मंगाया जा रहा है और व्यापारी चीन का लहसुन 60 रुपये किलो खरीदकर 160 रुपये किलो दुकानदारों को बेच देते हैं। यह लहसुन देसी लहसुन से 50 रुपये कम कीमत पर बेचा जा रहा है। स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने के बावजूद खाद्य सुरक्षा औषधि विभाग इससे अंजान बना है। नेपाल के रास्ते चीन का लहसुन लाया जा रहा है और मंपीडीडीयूनगर स्टेशन से होकर आने वाली सीमांचल एक्सप्रेस से चीन के लहसुन की तस्करी हो रही है। इसके अलावा मालवाहक वाहनों से गाजीपुर, चंदौली, पीडीडीयूनगर, पड़ाव रामनगर समेत तय स्थानों तक पहुंचाया जा रहा है। कस्टम विभाग की ओर से चीन के लहसुन पर काबू करने का प्रयास किया जा रहा है।
शहर में खुलेआम चीन के लहसुन की बिक्री हो रही है। विशेश्वरगंज, खोजवां, पांडेयपुर, कचहरी, चेतगंज, सिगरा और सुंदरपुर क्षेत्र में खुलेआम बिक्री हो रही है। शहर में रोजाना 20 से 25 क्विंटल चीन के लहसुन की खपत है। यह लहसुन थोक में 50 से 60 रुपये किलो और फुटकर में 260 रुपये किलो है।
देसी लहसुन का भाव इस समय 280 से 300 रुपये किलो है। चाइनीज लहसुन कैमिकल्स के इस्तेमाल से बनता है। इसमें सिंथेटिक प्रोसेस का इस्तेमाल होता है। इसलिए यह एकदम सफेद, साफ और चमकदार होता है। इसके विपरीत देसी लहसुन कुछ क्रीम या पीलापन लिए हुए होता है। चीन के लहसुन को काटने पर इसमें गंध बेहद कम आती है।