इस बगवाल में कई दर्शक भी घायल हो गए। शुरुआत में बग्वाली वीरों के द्वारा फल फूलों से बगवाल खेली जा रही थी बाद में बग्वाली वीरों ने जोश में मां के जयकारे लगाते हुए पत्थरों से बगवाल खेलना शुरू कर दी जिसमें दोनों पक्षों के कई लोग घायल हो गए। वहीं सभी घायलों का देवीधुरा अस्पताल तथा मेला कैंप में स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा उपचार किया गया वहीं मुख्यमंत्री धामी के साथ हजारों लोग बगवाल के साक्षी बने।
उल्लेखनीय है कि चंपावत के देवीधुरा के प्रसिद्ध मां वाराही मंदिर में रक्षाबंधन पर बग्वाल खेलने की परंपरा है। पुराने जमाने में यहां नर बलि देने की प्रथा थी, जो समय के साथ पत्थर युद्ध में तब्दील हो गई, लेकिन साल 2013 में न्यायालय के आदेश के बाद पत्थरों की जगह फूल और फलों से बग्वाल खेली जाने लगी है। बग्वालीवीरों का मानना है कि वो आसमान में फलों को फेंकते हैं, लेकिन वो पत्थरों में तब्दील हो जाते हैं। इस बग्वाल में एक व्यक्ति के शरीर के बराबर का खून बहाया जाता है।
इस बार भी आषाढ़ी कौतिक के मौके पर 50 हजार से ज्यादा लोग बग्वाल मेले का गवाह बने। चारों खामों (बिरादरी) के रणबांकुरों ने 11 मिनट तक फूल, फल और पत्थरों से युद्ध किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मां वाराही धाम पहुंचे और पूजा अर्चना की।