Uttarakhand

रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के अभियान का पूर्व मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ

मसूरी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए वह देवभूमि विकास संस्थान के माध्यम से एक बार फिर मसूरी वुडस्टॉक स्कूल के पास रिस्पना नदी के उद्गम स्थल से विधि विधान के साथ अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने सभी लोगों से रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाए जाने के लिए अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने की भी अपील की। मसूरी में रिस्पना नदी के उद्गम स्थल पर भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। वहीं कठिन रास्ते से होते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उद्गम स्थल पर पहुंचे और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर रिसपना नदी के पुर्नजीवित के अभियान का षुभारम्भ किया। पत्रकारों से वार्ता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि रिस्पना को ऋशिपर्णा बनाने की दिशा में किए गए संस्था के पूर्व के प्रयास को आगे बढ़ाने की जरुरत महसूस की जा रही है। उन्होने कहा कि आज के समय में कोई भी चीज असंभव नहीं है उन्होंने कहा कि अगर जनशक्ति और राज्य सरकार वह राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो तो रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाए जाने के सपना बड़े आसानी से साकार हो सकता है। वर्तमान समय में समय में कई ऐसे वैज्ञानिक तरीके हैं जिससे कि रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाया जा सकता है उन्होंने कहा कि रिस्पना नदी के पुनर्जन्म का संकल्प 25 दिसंबर 2009 को लिया गया पर एक बार फिर इस अभियान की शुरुआत की जा रही है उन्होंने कहा कि पूर्व में रिस्पना नदी को ऋषिपर्णा बनाए जाने को लेकर कई सालों में महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं रिस्पना नदी के आसपास के क्षेत्र में बडे स्तर पर वृक्षारोपण किया गया था ।जिसका असर आज देखने को मिल रहा है रिस्पना नदी के आसपास काफी हरियाली हो गई है पशु पक्षी भी अब रिस्पना नदी के क्षेत्र में देखे जा रहे हैं जो एक अच्छा संकेत है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सौंग बांध पेयजल परियोजना रिस्पना नदी को जीवनदान देगा।उन्होंने बताया कि सौंग बांध से अतिरिक्त पानी को रिस्पना नदी में छोड़ा जाएगा।
टिहरी जिले की धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के सौंधना गांव में बनने वाले सौंग बांध से देहरादून जिले को 24 घंटे ग्रेविटी आधारित पेयजल उपलब्ध होगा। साथ ही बांध में अतिरिक्त पानी होने पर इसे दून की रिस्पना नदी में छोड़ा जाएगा। इस पहल से रिस्पना को नया जीवन मिलेगा। बांध परियोजना की आयु सौ साल होगी और इससे 2123 तक जलापूर्ति होती रहेगी।असल में सरकार ने रिस्पना के पुनरुद्धार के तहत रिस्पना से ऋषिपर्णा मुहिम शुरू की है। इस कड़ी में रिस्पना के दोनों तरफ बड़ी संख्या में जल संरक्षण में सहायक पौधों के रोपण के साथ ही इसके जलसमेट क्षेत्रों (कैचमेंट एरिया) के विकास पर फोकस किया गया है। इस पहल में सौंग बांध भी योगदान देने जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि रिस्पना नदी में सौंग बांध से पानी छोड़ा जाएगा जिससे रिसपना नदी में 12 महीने पानी रहेगा। उन्होंने कहा कि आईआईटी रूडकी की देखरेख मेंएसेसमेंट टीम का गठन किया गया था और उनके द्वारा दी गई रिपोर्ट में यह बताया गया है कि पिछले दिनों रिस्पना नदी के आसपास हुए वृक्षारोपण से नदी के जलसर पर बड़ा है नदी के जल की गुणवत्ता में भी काफी सुधार आया है जिससे सभी लोग काफी उत्साहित है।

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