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2 अक्टूबर गांधी जयंती पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति ने आयोजित किया कार्यक्रम

हरिद्वार। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के उपलक्ष में दिन के 11:00 बजे हरिद्वार स्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मृति स्तंभ/ शहीद पार्क में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के तत्वाधान में एक गरिमा पूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इसमें जनपद हरिद्वार के स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुभाष घई ने की तथा संचालन वरिष्ठ समाजसेवी मुरली मनोहर द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जनपद हरिद्वार के एकमात्र जीवित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत भूषण उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर शहीद जगदीश वत्स के भांजे गोपाल नारसन, स्वतंत्रता सेनानी परिवार समिति के अध्यक्ष देशबंधु तथा पार्षद अमन गर्ग उपस्थित रहे।
सर्वप्रथम सभी आगंतुकों द्वारा महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित की गई तथा शहीद जगदीश वत्स की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। तदुपरांत स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति (रजि.) के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया तथा पूज्य महात्मा गांधी जी व स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि पूरे देश ने महात्मा गांधी की अगुवाई में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी तथा बड़े से बड़ा बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटे। आज हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों के कारण ही आजादी की हवा में साॅंस ले रहे हैं। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सैनी ने बोलते हुए इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि पिछले कुछ समय से एक सुनियोजित मानसिकता के तहत हमारे स्वतंत्रता के महानायक पूज्य महात्मा गांधी एवं पंडित जवाहरलाल नेहरू आदि को बदनाम एवं अपमानित करने का एक कुचक्र चलाया जा रहा है इसलिए स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वह स्वतंत्रता आंदोलन के महानायकों का किसी भी प्रकार का अपमान बर्दाश्त ना करें और यदि कोई स्वतंत्रता सेनानियों की अवमानना करने का प्रयास करता है या इस देश के स्वतंत्रता संग्राम का अवमूल्यन करने की कोशिश करता है तो हमें उसका कठोरता के साथ जवाब देना चाहिए। श्रीगोपाल नारसन ने अपने उद्बोधन में महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री के साथ-साथ उत्तराखंड (रामपुर तिराहा) के शहीदों तथा उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी अब प्रायः स्वर्गवासी हो गए हैं तथा उनकी दूसरी पीढ़ी के लोग भी अब वयोवृद्ध हो चले हैं, ऐसे में स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए और उसकी जानकारी नई पीढ़ी को देने के लिए यह आवश्यक है कि स्थानीय स्तर पर स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी को पाठ्यक्रमों में शामिल किया जाए। इस क्रम में उन्होंने शहीद जगदीश वत्स की जीवनी को पाठ्यक्रम में प्राथमिकता से शामिल करने की अपील की है।
मुरली मनोहर ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि यह देश सर्वधर्म समभाव का देश है तथा हम सब को भाईचारे के साथ इस देश में रहना है तथा हमें पुनः इस देश में भाईचारे की भावना को मजबूत करना होगा। स्वतंत्रता सेनानी श्री भारत भूषण जी ने कहा कि हमारे वेद, पुराण, उपनिषदों तथा सभी धार्मिक ग्रंथों का मूल आधार सत्य और अहिंसा है लेकिन गांधी जी की महानता और उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता यह थी कि उन्होंने सत्य और अहिंसा जैसी धार्मिकता की अनुभूति को न केवल सार्वजनिक स्तर पर प्रतिस्थापित किया बल्कि उस अनुभूति को स्वतंत्रता संघर्ष का साधन बनाया और उसी के बल पर एक नए भारत के निर्माण की परिकल्पना की। उनकी यह परिकल्पना आज न केवल भारत के लिए प्रासंगिक है, बल्कि पूरी दुनिया उनके सत्य और अहिंसा के संदेश को गंभीरता से ले रही है। अशोक टंडन ने अपने संबोधन में स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों के संगठन को मजबूत करने पर बल दिया। पार्षद श्री अमन गर्ग ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए और स्वतंत्रता सेनानियों के दिखाए हुए मार्ग पर चलकर देश को मजबूत बनाने का संकल्प लिया ।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सुभाष घई जी ने स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को राष्ट्रीय परिवार घोषित करने की सरकार से अपील की है। अंत में स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के अध्यक्ष श्री देशबंधु जी ने सभी आगंतुकों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के सभी उत्तराधिकारियों को बिना किसी भेदभाव के संगठित होकर अपने पूर्वजों के मान सम्मान और अपने हितों की लड़ाई लड़नी चाहिए।
स्वतंत्रता सेनानी परिवारों से सर्वश्री अर्जुनसिंह राणा, सुरेश दत्त शर्मा, राकेश कुमार शर्मा, कैलाश वैष्णव, अरुण कुमार शर्मा, राजन कौशिक, अनिल कुमार, अक्षय कुमार, बलवीर सिंह, रमेश कुमार, विशाल, नरेंद्र कुमार वर्मा, सुभाष चंद्र चौहान, अशोक कुमार चौहान, आनंदपाल, आदित्य गहलोत, कमलेश कुमार चौहान, राकेश कुमार चौहान, रविंद्र धीमान, डॉ अरविंद शर्मा, ललित कुमार चौहान, रवि गुप्ता, श्रीमती शीला सिंह तथा श्रीमती माया सिंह की उपस्थिति विशेष रूप से रही।

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