नितिन राणा
हरिद्वार धर्मनगरी पर्व महाकुंभ जैसे-जैसे और आगे भव्य होता जा रहा है वैसे वैसे साधु संतों की अद्भुत निराली माया देखने को मिल रही है वैरागी संतो की कठोर धूनी तप तपस्या की विशेषता यह है कि यह प्रतिवर्ष माघ शुक्ल पंचमी से शुरू होकर जेष्ठ दशहरे तक होती है यह तपस्या दोपहर के समय 12:00 बजे से लेकर शाम 3:00 बजे तक होती है जब सूर्य की तपिश पृथ्वी पर और तेजी से बढ़ जाती है यह तपस्या लगातार 18 वर्ष तक इस प्रकार होती है पंच धूनी पांच जगह 3 वर्ष सप्त धोनी 3 सात जगह 3 वर्ष द्वादश धूनी3 साल 12 जगह 3 वर्ष 84 जगह कोट3 वर्ष खप्पर 3 वर्ष सर पर रखते हैं संतों का कहना है कि रामचरित्र मानस में तपहि तप वल रची ब्रह्मा ने तप के ऊपर ही ऊपर ही सृष्टि रची है। तप के ऊपर ही विष्णु भगवान पालन करते हैं और तब के ऊपर ही शंकर भगवान श्रृंगार करते हैं रामचरणदास त्यागी जी और रघुविंदर दास जी कहते हैं है कि तपस्या के प्रभाव से ही पूरी सृष्टि चल रही है