*💐अमृत स्नान करते हुये जो भी हताहत हुये उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना और जो अपने परिजनों से बिछुड़ गये हैं उनकी शीघ्र घर वापसी हो विशेष यज्ञ*
*✨मौनी अमावस्या, स्नान, ध्यान व दान की अमावस्या*
*💥आपका सुरक्षित घर पहुंचना ही संगम का प्रसाद*
*🙏🏾स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
प्रयागराज। महाकुंभ, मौनी अमावस्या के पावन दिन परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, ने सभी श्रद्धालुओं को मौनी अमावस्या की शुभकामनाएं देते हुये श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि संयम, धैर्य और सुरक्षा के साथ महाकुंभ की दिव्य धरती पर अमृत स्नान करें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मौनी अमावस्या, स्नान, ध्यान और दान की अमावस्या है। यह अवसर हमें यह याद दिलाता है कि हम अपने समय, ऊर्जा और प्रतिभा का सदुपयोग राष्ट्र की सेवा में करें। दान केवल भौतिक वस्तुओं का नहीं, बल्कि अपने समय, योग्यता और ज्ञान का भी होना चाहिए। यह समय है, जब हमें अपने भीतर की दिव्यता को पहचाने और उसे समाज और राष्ट्र के लिए समर्पित करे।
स्वामी जी ने श्रद्धालुओं से यह भी आग्रह किया कि वे स्नान करने के दौरान अपनी सुरक्षा और परिवार के सदस्यों की देखभाल करें। उन्होंने कहा, आपका सुरक्षित घर पहुंचना ही संगम का प्रसाद है। यही संगम का सच्चा संयम है। हर घाट संगम है, हर स्थान संगम है, लेकिन संगम का वास्तविक अर्थ तब ही पूरा होता है जब आप अपनी यात्रा को सुरक्षित और शांतिपूर्वक समाप्त करें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा के महाकुंभ के इस ऐतिहासिक पर्व में, जहां आस्था और श्रद्धा की गहरी अभिव्यक्ति है, वहां हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हम अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी से अनजान न रहें। यह समय हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और अपने आंतरिक स्वरूप को पहचानने का है।”
स्वामी जी ने कहा कि प्रशासन और सरकार द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाकुंभ की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रख रहे हैं और उन्होंने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए विशेष ध्यान दिया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने आस-पास के श्रद्धालुओं के साथ सहयोग और सद्भावना के साथ महाकुंभ की पुण्य भूमि पर स्नान करें। जहां पर आप हैं, वहीं आसपास के घाटों में अमृत स्नान करें और याद रखें कि हर घाट संगम है। संगम का वास्तविक अनुभव तभी हो सकता है जब आप धैर्य, संयम और सुरक्षा के साथ स्नान करें।
महाकुंभ का यह पर्व हर व्यक्ति के जीवन में एक नई चेतना का संचार करता है। स्वामी जी ने श्रद्धालुओं से कहा, आपका सुरक्षित घर लौटना ही संगम का असली परिणाम है। यही संगम और पूज्य संतांे की भावना भी है।