(प्रयागराज कुंभ श्रृंखला)
-सुदेश आर्या
(प्रयागराज कुंभ की पिछली श्रृंखला में आप प्रयाग में पहुंचे किन्नर अखाड़े के विषय में पढ़ चुके हैं)
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से 26 फरवरी को महाशिवरात्रि तक 45 दिनों तक चलेगा। महाकुंभ को दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक मेले में से एक माना जाता है।
कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है। कुंभ में संतों, साधुओं और तीर्थयात्रियों से भरा जीवंत वातावरण वास्तव में अविस्मरणीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव बनाता है।
हरिद्वार कुंभ में पधारे ये महंत गीतानंद गिरी जो कुमाऊं गढ़वाल के रहने वाले हैं ये भी प्रयागराज कुंभ में पहुंच चुके हैं। ये दो लाख रुद्राक्ष का बना मुकुट अपने सिर पर धारण किए हुए हैं। जिसका वजन 45 किलो है। इनका कहना है कि अगर विश्वास ना हो तो आप इस मुकुट को तौलकर भी देख सकते हैं।
ये सब रुद्राक्ष नेपाल से मंगाए गए हैं। चीनी में 11 मुखी 21 मुखी पांच मुखी सात मुखी रुद्राक्ष है और इनमें गौरी शंकर भी हैं। इनके गले में 20,000 मालाएं हैं।
इनकी जैकेट भी अनोखी है। जो पूरी रुद्राक्ष की बनी हुई है और इसमें आगे चेन भी लगी हुई है।
यह हठयोगी हैं। बताते हैं कि इन्होंने 5 साल अग्नि तपस्या की है। अर्थात् अग्नि के बीच बैठकर चारों ओर से धोनी रमाते हैं। कहते हैं कि सालोंसाल हम अपने शरीर को कष्ट देकर शरीर को तपाते हैं।
प्रयागराज में इस प्रकार के साधु संतों के विषय में अनोखी जानकारी व उनके अनोखे कारनामे में पढ़ने के लिए पोर्टल पढ़ते रहिए।