-संस्कृत विद्यालय, संस्कृत शिक्षा, संस्कृत शिक्षा की गुणवत्ता, जागेश्वर में संस्कृत विद्यालय खोलने तथा संस्कृत व संस्कृति के संरक्षण हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और संस्कृत शिक्षा सचिव श्री गैरोला जी की हुई विशद् चर्चा
-श्री दीपक कुमार गौरोला जी ने राज्य सरकार की योजनाओं पर लिखी पुस्तक ‘मेरी योजना’ स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को भेंट की
ऋषिकेश। उत्तराखंड शासन के कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव, श्री दीपक कुमार गैरोला जी का परमार्थ निकेतन में आगमन हुआ। श्री गैरोला जी ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर संस्कृत भाषा की शुद्धता, शुद्ध रूप से मंत्रों के उच्चारण हेतु साहित्य उपलब्ध कराने हेतु निवेदन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और श्री गैरोला जी ने संस्कृत विद्यालय, संस्कृत शिक्षा, संस्कृत शिक्षा की गुणवत्ता, जागेश्वर धाम में संस्कृत विद्यालय खोलने तथा संस्कृत व संस्कृति के संरक्षण हेतु विशेष चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत ही नहीं बल्कि अप्रवासी भारतीयों में भी मंत्रों के उच्चारण की जिज्ञासा है। जो भारत भूमि से दूर है वे वेद, उपनिषद् व कर्मकांड के मंत्रों को पढ़े कैसे, मंत्रों को बोले कैसे इस हेतु जरूरी है कि वेद विद्यालय बने। हमारे पास ऐसे पुरोहित हो जो मंत्रों को शुद्धता के साथ उच्चारण करे क्योंकि मंत्र का प्रभाव और प्रभुभाव दोनों जरूरी है।
स्वामी जी ने कहा कि संस्कृत में मंत्रों का शुद्धता के साथ उच्चारण नहीं होगा तो संस्कृत नहीं बचेगी, संस्कृत नहीं बचेगी तो संस्कृति भी नहीं बचेगी इसलिये जरूरी है कि संस्कृत विद्यालयों में भाषा भी बचे और भाव भी बचे; मंत्रों का उच्चारण भी हो और उच्च आचरण भी हो। हमारे विद्यार्थियों की बुद्धि भी बढ़े और शुद्धि भी बढ़े तभी जीवन की सिद्धि होगी। अब केवल लोभ व लाभ की दृष्टि से नहीं बल्कि जीवन शुद्ध बने, जीवन बुद्ध बने, जीवन सिद्ध बने, जीवन शुभ बने और जीवन प्रबुद्ध बने इस दृष्टि से संस्कृत विद्यालयों की शिक्षा को आगे बढ़ाना होगा।
स्वामी जी ने बताया कि जागेश्वर धाम में राज्य सरकार और परमार्थ निकेतन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव किया गया था जिसमें हम 44 देशों के योग जिज्ञासु वहां लेकर गये थे इस कार्य को आगे बढ़ाने हेतु भी चर्चा हुई। वर्ष 2027 में कुम्भ आ रहा है तो ऐसे समय में हमारी यात्रा कुमांऊ से कुम्भ की यात्रा हो। कुमांऊ के जागेश्वर धाम का विकास हो इस हेतु परमार्थ सदैव आगे आने के लिये तैयार है। माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में अद्भुत विकास हो रहा है और आगे भी उनके नेतृत्व में विकास होता रहे इस हेतु प्रयास करना होगा।
परमार्थ निकेतन में जिस प्रकार केन्द्र सरकार के साथ मिलकर गंगा आरती की ट्रेनिंग दी जा रही है उसी तर्ज पर संस्कृत के मंत्रों के शुद्ध उच्चारण का भी प्रशिक्षण दिया जा सकता है इस पर भी माननीय सचिव जी के साथ स्वामी जी ने चर्चा की।
स्वामी जी ने कहा कि कर्मकांड व वेद मंत्रों के उच्चारण में मंत्रों का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है और इस कार्य के लिये परमार्थ निकेतन सदैव तैयार है। इस हेतु ट्रेनिंग देना, मंत्रों की बुकलेट के लिये शुद्ध मंत्रों का उपलब्ध कराने हेतु परमार्थ निकेतन पूर्ण रूप से राज्य सरकार के साथ कार्य करने के लिये सदैव तैयार है।
स्वामी जी ने उत्तराखंड सरकार की प्रशंसा की कि उत्तराखंड राज्य में संस्कृत भाषा को राज्य भाषा का दर्जा देने के लिये जो प्रयास किये जा रहे हैं वह अद्भुत है परन्तु इस हेतु मिलकर आगे और कार्य करना होगा।
स्वामी जी ने उत्तराखंड शासन के कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव, श्री दीपक कुमार गैरोला जी को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया।