हरिद्वार। स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह विचार विभाग प्रमुख एवं क्षेत्र संयोजक उत्तर प्रदेश उत्तराखंड डॉ राजीव कुमार ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच ने कुछ अन्य संगठनों के साथ मिलकर देश को पूर्णतयः रोज़गारयुक्त बनाने का संकल्प किया है। इस गैर-सरकारी पहल का नाम है स्वावलम्बी भारत अभियान। इस 12 दिसंबर युवा दिवस की देश के सभी प्रांत केन्द्रों पर शुरुआत हुई है।
इसके लिए हमने चार आधारभूत मन्त्र माने हैं: विकेंद्रीकरण, सहकारिता, स्वरोजगार या उद्यमिता तथा स्वदेशी का आग्रह। इसके लिए देश के सभी 739 ज़िलों में रोज़गार सृजन केंद्रों की स्थापना किसी न किसी विश्विद्यालय या बड़े महाविद्यालय के साथ मिलकर की जाएगी। वहां के स्थानीय अर्थ व रोजगार सृजकों के साथ संवाद, सहयोग व सहकार करके इस कार्य में लगाया जाएगा। तीसरा आग्रह का बिंदु युवा शक्ति की मानसिकता में परिवर्तन करने का रहेगा ताकि युवा नौकरी मांगने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बने। इस लिए हमने 3 करोड़ कॉलेज विद्यार्थी, 1000 विश्वविद्यालय व 53000 कॉलेजों में सक्रियता का वातावरण तैयार करना है।
इस अभियान के अंतर्गत आर्थिक समूह के छः संगठन भारतीय मजदूर संघ ,भारतीय किसान संघ, स्वदेशी जागरण मंच,सहकार भारती, ग्राहक पंचायत, लघुउद्योग भारती तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सहित विश्व हिन्दू परिषद,सेवा भारती, बनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय जनता पार्टी आदि संगठन मिलकर यह कार्य कर रहे हैं। देश के प्रमुख आईटी विशेषज्ञ और जोहो कारपोरेशन के मालिक श्रीधर वैंबू इस अभियान के प्रथम संरक्षक बने हैं। ऐसे ही शीर्ष नेतृत्व को इसमें जोड़ना है।
यह सर्वविदित है कि भारत के रोजगार कृषि 42% छोटे उद्योग 28% यानी मैन्युफैक्चरिंग से और 30 से 32% सर्विस सेक्टर से आता है। इसी को ध्यान रखकर ही आगामी योजनाएं बनाई गई हैं।
हमारा निष्कर्ष है कि हमें अपनी विशेषता को आंक कर उसके आधार पर बढ़ना है। जैसे की अमेरिका की सबसे प्रमुख विशेषता इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, चीन की सस्ती मैन्युफैक्चरिंग, मध्य व पूर्वी देश की कच्चा तेल, जापान की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक, जर्मनी की उच्चस्तरीय इंजीनियरिंग और रूस की द्वारा उच्च स्तरीय शस्त्र-अस्त्र निर्माण क्षमता है। इस अभियान की रचना करते समय माना गया है कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी है युवा शक्ति है। यद्यपि भारत के पास कृषि भूमि दुनियां में सर्वाधिक है, सस्ती जेनेरिक फार्मासूटिकल निर्माण क्षमता दुनिया की 20% है, दूध उत्पादन भी सर्वाधिक है, आईटी क्षेत्र भी श्रेष्ठ हैं। ये चारों क्षेत्र तो हैं,परंतु सर्वाधिक महत्वपूर्ण सम्पति हमारी युवाशक्ति है।
वैसे तो संख्या में यह युवा शक्ति 37 करोड (15-29 वर्ष) है। यह संख्या चीन में 27 करोड़ है, और अमरीका की तो कुल आबादी ही 34 करोड़ है। गर्व की बात है कि भारत की मध्यमान आयु 29 वर्ष, चीन की 37 वर्ष,अमरीका की 40 वर्ष, यूरोप की 46 व जापान की 48 वर्ष है। इसी युवा शक्ति को हमने अपना ग्रोथ इंजिन माना है। इसी जनसांख्यिकी लाभांश को हमने अपना केंद्रबिंदु माना है।
आगामी 25,26 जून को को,अभियान की उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड की कार्यशाला लखनऊ में आयोजित होगी।
यदि सभी सामाजिक संगठन व अन्य समजिक शक्तियां मिलजुल कर इस स्वावलंबी भारत अभियान को सफल बनाने में जुटती हैं तो बेरोजगारी बीते दिनों की बात हो जाएगी और भारत पुनः विश्व गुरुके पद पर आसीन होगा।