*स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज किया परमार्थ संगम घाट का निरिक्षण*
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आगामी कुम्भ मेला, माघ मेला और अन्य कार्यक्रमों का प्लान*
*अरैल घाट, प्रयागराज के पूरे क्षेत्र को भव्य, दिव्य और नूतन बनाने पर विशेष चर्चा*
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पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी के बलिदान दिवस, राम मंदिर आंदोलन के नायक अशोक सिंघल जी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता बाला साहब ठाकरे जी की पुण्यतिथि के अवसर पर भावभीनी श्रद्धाजंलि*
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कुंभ एवं आगामी आयोजनों को दिव्य-भव्य रूप में आयोजित करने की बनी रणनीति*
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राष्ट्रनायकों की पुण्यतिथि पर परमार्थ त्रिवेणी पुष्प प्रांगण में रूद्राक्ष के पौधे का रोपण*
प्रयागराज, 19 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज प्रयागराज स्थित परमार्थ संगम घाट एवं आस-पास के क्षेत्रों का विस्तृत निरीक्षण कर आगामी कुंभ मेला, माघ मेला तथा अन्य आध्यात्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारियों की समीक्षा की। इस अवसर पर स्वामी जी ने प्रदेश और देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं, साधु-संतों एवं विशेष अतिथियों के स्वागत हेतु घाट क्षेत्र को और अधिक भव्य, दिव्य, सुरक्षित एवं नूतन स्वरूप में विकसित करने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार प्रतिबद्ध है अपनी विरासत, संस्कृति व विकास के साथ आगे बढ़ने के लिये।
स्वामी जी ने कहा कि प्रयागराज मात्र एक तीर्थ नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक धड़कन, सांस्कृतिक धरोहर और सनातन एकता का जीवंत प्रतीक है इसलिए संगम क्षेत्र की स्वच्छता, सुगमता, सुरक्षा और सौंदर्य सभी प्राथमिकताएँ हैं, जिन पर आने वाले दिनों में तीव्र गति से कार्य किए जाएंगे।
निरीक्षण के दौरान स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अरैल घाट तथा आसपास के विस्तृत क्षेत्र को आध्यात्मिक पर्यटन और तीर्थ संस्कृति के आदर्श मॉडल के रूप में विकसित करने हेतु विस्तृत चर्चा की।
उन्होंने कहा कि संगम एक ऐसा स्थल है जहाँ आस्था, अध्यात्म, सेवा, संस्कार और संस्कृति एक साथ प्रवाहित होते हैं। अतः यहाँ का विकास केवल ढाँचागत न होकर, भावनात्मक और सांस्कृतिक आधार पर भी होना चाहिए ताकि हर यात्री स्वयं को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध महसूस करे।
स्वामी जी ने स्थानीय युवाओं, स्वयंसेवकों और धार्मिक संगठनों से आह्वान किया कि वे आने वाले कुंभ से पूर्व क्षेत्र में स्वच्छता, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और जनजागरूकता के कार्यक्रमों को और सशक्त करना होगा।

इस अवसर पर स्वामी जी ने तीन महानतम राष्ट्रनायकों पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी, राम जन्मभूमि आंदोलन के मुख्य स्तंभ अशोक सिंघल जी तथा प्रखर राष्ट्रवादी नेता बाला साहब ठाकरे जी की पुण्यतिथि पर परमार्थ त्रिवेणी पुष्प प्रांगण, प्रयागराज में रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया।
स्वामी जी ने कहा कि यह तीनों महापुरुष भारत की नई पीढ़ी के लिए साहस, राष्ट्रभक्ति, त्याग और सनातन मूल्यों के ज्वलंत प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि लाला लाजपत राय जी का अदम्य साहस, अशोक सिंघल जी की आध्यात्मिक राष्ट्रभक्ति और बाला साहब ठाकरे जी की निर्भीक राष्ट्रनिष्ठा ये तीनों मिलकर भारत को नवऊर्जा, नवप्रेरणा और नवदिशा देने वाले स्तंभ हैं। इनकी पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण करना प्रकृति, राष्ट्र और संस्कृति के प्रति कृतज्ञता का एक पवित्र संकल्प है।
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय जी, राम मंदिर आंदोलन के अटूट शिल्पी अशोक सिंघल जी तथा प्रखर राष्ट्रवादी नेता बाला साहब ठाकरे जी, इन तीनों महापुरुषों की पुण्यतिथि भारतीय इतिहास में अदम्य साहस, राष्ट्रनिष्ठा और अटूट संकल्प का त्रिवेणी संगम है।
लाला लाजपत राय जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपने प्राणों का बलिदान देकर पूरी पीढ़ी में क्रांति की चिंगारी जलाई। उनका निर्भीक नेतृत्व और मातृभूमि के प्रति समर्पण आज भी हर भारतीय के हृदय में प्रेरणा का दीप प्रज्वलित करता है।
अशोक सिंघल जी ने जीवनभर राम जन्मभूमि आंदोलन को आत्मसमर्पण, तप और साधना की शक्ति से आगे बढ़ाया। उनका शांत लेकिन अडिग नेतृत्व सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण का आधार बना और उन्होंने राष्ट्र को आध्यात्मिक चेतना से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बाला साहब ठाकरे जी ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए निर्भीकता, प्रखरता और राष्ट्रवादी विचारधारा का अद्वितीय स्वर भारत को दिया। उनकी आवाज करोड़ों युवाओं में स्वाभिमान और राष्ट्रगौरव की भावना जगाती रही।
इन तीनों महापुरुषों का जीवन संदेश देता है कि राष्ट्रभक्ति केवल विचार नहीं, बल्कि जीवन भर का संकल्प है।
आज उनकी पुण्यतिथि पर हम विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संकल्प लेते हैं कि उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु निरंतर समर्पित रहेंगे।
