
-नन्दी सेवा संस्थान द्वारा समाज सेवा के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रयास मां की रसोई बन रही है सेवा, स्नेह और संवेदना का प्रतीक
-12 जुलाई 2010 को श्रावण के पवित्र माह में मनोकामना पूर्ति शिवमंदिर में जलाभिषेक के दौरान जो हृदयविदारक घटना घटित हुई, वह मानवता की आत्मा पर गहरा प्रहार थी, उसमें मारी गयी उन सभी दिव्य आत्माओं की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना
प्रयागराज। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को माननीय मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ जी के मार्गदर्शन में संचालित नन्दी सेवा प्रकल्पों के अनुकरणीय प्रयासों के लोकार्पण समारोह हेतु विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। यह आयोजन प्रयागराज स्थित मनोकामना पूर्ति शिवमंदिर में आयोजित विशेष जलाभिषेक समारोह के अवसर पर हुआ, जो सेवा, समर्पण और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संगम है। स्वामी जी की गरिमामयी उपस्थिति ने इस समारोह को एक विशेष आध्यात्मिक गरिमा प्रदान की, जिससे जनसेवा के इन प्रयासों को नई प्रेरणा और दिशा मिली।
इस पावन अवसर पर कई विशिष्ट विभूतियों, गणमान्य अतिथियों का सान्निध्य प्राप्त हुआ।
समाज सेवा, नारी सशक्तिकरण, युवाओं के स्वरोजगार और जनकल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा नन्दी सेवा संस्थान, आज एक प्रेरणास्पद संस्था है। माननीय मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ जी के करुणामय मार्गदर्शन में संचालित यह संस्थान सेवा, संवेदना और समर्पण का जीवंत प्रतीक बनकर उभरा है।
संस्थान द्वारा संचालित ‘मां की रसोई’ आज न केवल भूखों के लिए भोजन का साधन है, बल्कि यह उनके लिए आश्वासन, आत्मीयता और ममता का अनुभव भी है। प्रयागराज स्थित स्वरूपरानी नेहरू मेडिकल कॉलेज में आने वाले और भर्ती मरीजों तथा उनके साथ आने वाले परिजनों को स्वच्छ, पौष्टिक, गुणवत्तायुक्त व हाइजीनिक भोजन प्रदान करना वास्तव में सेवा का श्रेष्ठतम रूप है। मानवता की सेवा का आदर्श स्वरूप है मां की रसोई।
जब एक परिवार किसी बीमार परिजन को लेकर अस्पताल पहुंचता है, तो उसकी प्राथमिकता होती है इलाज लेकिन इलाज के साथ भोजन की चिंता उन्हें मानसिक व आर्थिक रूप से कमजोर कर देती है। ऐसे में नन्दी सेवा संस्थान द्वारा संचालित यह रसोई, उन परिवारों के लिए भोजन का स्थल है साथ ही यह उनका संबल और सहारा भी बनती है।
रोजाना सैकड़ों मरीजों और उनके परिजनों को गरम, स्वच्छ, स्वादिष्ट और संतुलित भोजन उपलब्ध कराना अपने-आप में एक विशाल आयोजन है। इस पुनीत कार्य में संलग्न स्वयंसेवकों की समर्पित भावना और संस्थान की सुदृढ़ व्यवस्था को देखकर सहज ही कहा जा सकता है कि यह रसोई सेवा की नहीं, बल्कि मां की ममता की प्रतीक है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश ने सुशासन, पारदर्शिता और लोककल्याण के नए आयाम स्थापित किए हैं और सामाजिक न्याय के क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व प्रगति हुई है।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मूलमंत्र को साकार रूप देते हुए अनेक योजनाएं लागू की गईं जिससे समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को संबल मिला है। ये सभी पहलें योगी जी की दूरदर्शिता को दर्शाती हैं।
माननीय मुख्यमंत्री जी का निःस्वार्थ सेवा भाव, राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पण तथा विकास के प्रति उनका ठोस दृष्टिकोण वास्तव में प्रशंसनीय एवं प्रेरणादायक है। उत्तरप्रदेश अब उत्तमप्रदेश की दिशा में बढ़ रहा है। समाज सेवा, नारी सशक्तिकरण, जनकल्याण और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मूर्त रूप देने में नन्दी सेवा संस्थान एक प्रेरणास्पद नाम बनकर उभरा है।
12 जुलाई 2010 को श्रावण के पवित्र माह में मनोकामना पूर्ति शिवमंदिर में जलाभिषेक के दौरान जो हृदयविदारक घटना घटित हुई, वह मानवता की आत्मा पर गहरा प्रहार थी। इस दुर्भाग्यपूर्ण आतंकी वारदात ने न केवल मासूम श्रद्धालुओं की जान ली, बल्कि समाज में डर और असुरक्षा का वातावरण भी उत्पन्न किया। उन सभी दिव्य आत्माओं की शांति हेतु हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। इस विभत्स घटना के दौरान श्री नन्दी जी भी हताहत हुये, गोलियाँ लगी परन्तु प्रभु कृपा उन पर बनी नहीं और उनका पूरा जीवन ही बदल गया, पूरा जीवन सेवा के लिये समर्पित कर दिया।
आज माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने एक नया वातावरण प्राप्त किया है। उनके मार्गदर्शन में न केवल आतंकवाद और अपराध पर कठोर नियंत्रण स्थापित हुआ है, बल्कि समाज में सद्भाव, समरसता और सुरक्षा की भावना भी प्रबल हुई है। हर नागरिक आज अधिक सुरक्षित महसूस कर रहा है और प्रदेश विकास एवं समृद्धि की दिशा में तीव्र गति से अग्रसर हो रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि कांवड़ यात्रा भारत की एक अद्भुत आध्यात्मिक परंपरा है, जो श्रद्धा, समर्पण और संयम का प्रतीक है। श्रावण मास में लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थों से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हुए भगवान शिव को अर्पित करते हैं। यह यात्रा शिवभक्ति के पर्व के साथ आत्मशुद्धि, अनुशासन और आस्था का भी संदेश देती है।
कांवड़ यात्रा पर्यावरण चेतना का भी संदेश देती है गंगा जल की पवित्रता और संरक्षण का भाव इसमें अंतर्निहित है। यह यात्रा आध्यात्मिक रूप से उन्नत करने वाली एक अनूठी साधना है, जो समाज में धर्म, सेवा और सद्भाव की भावना को मजबूत करती है।
कांवड़ यात्रा शिवभक्ति की चरम अभिव्यक्ति है, जिसमें समर्पण, संयम और सेवा का अद्भुत संगम निहित है। यह एक धार्मिक अनुष्ठान के साथ सामाजिक एकता, अनुशासन और पर्यावरण चेतना का एक विशाल जनआंदोलन बन चुकी है। लाखों श्रद्धालु जब गंगाजल लेकर शिवधाम जाते हैं, तो वे समाज में आस्था के साथ-साथ सहयोग, सद्भाव और प्रकृति संरक्षण का संदेश लेकर अपनी यात्रा सम्पन्न करें।