नितिन राणा
हरिद्वार। छठ पूजा में के दूसरे दिन खरना पर्व मनाया जाता है। छठ पूजा में खीर का विशेष महत्व है। इस खीर को खाने के उपरांत छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है। मान्यता है कि छठ की खीर खाने वाले लोगों की समस्त मनोकामनाएं भगवान भास्कर पूर्ण करते हैं। यह खीर सौभाग्यशाली लोगों को प्राप्त ही होता है।
गौरतलब है कि पुत्र प्राप्ति की कामना एवं सूर्योपासना का पर्व छठ पर्व पूर्वांचल के लोगों की खास पहचान है। देश विदेश में रहने वाले पूर्वांचल समाज के लोग छठ पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं।
तीर्थ नगरी हरिद्वार में छठ पर्व का रंग चढ़ने लगा है। सप्तऋषि घाट, शांति कूंज से लेकर बहादराबाद और कनखल के समस्त गंगा और गंगनहर घाटों पर छठ पर्व मनाने की जोरदार तैयारियां जारी है। समस्त घाटों की साफ सफाई का कार्य जारी है। शनिवार को पर्व के दूसरे दिन खरना की खीर खाने के उपरांत छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा। रविवार को भारतवर्ष की समस्त पवित्र नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, सिंधु कावेरी सहित सभी नदियों, पोखरों, तालाबों पर उत्सव का नजारा देखने को मिलेगा। फलों और पकवानों की टोकरी के साथ छठ व्रती घाटों पर पहुंचेंगे। जहां व्रती जल में खड़े रहकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे। वहीं सोमवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का समापन होगा। गंगा घाटों पर उत्सव का माहौल बना रहेगा। ऐसा प्रतीत होता है कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की छठी तिथि के दिन भगवान सूर्य नारायण पूर्वांचल के लोगों को आशीर्वाद देने के लिए प्रकट होते हैं। हिम्मत और मेहनत पूर्वांचल के लोगों की ताकत है और इसी गुण की बदौलत पूर्वांचल के लोगों ने विश्व में धाक जमाई है। विश्व के हर कोने में रहने वाले पूर्वांचल के लोग अपनी परंपरा, संस्कृति और संस्कार के साथ जीवन यापन करते हैं। पूर्वांचल उत्थान संस्था की ओर से छठ पर्व मनाने की जोरदार तैयारियां जारी है। पूर्वांचल उत्थान संस्था की ओर से भगवान सूर्य की आराधना का पर्व छठ पूजा और विद्या की देवी मां भगवती सरस्वती पूजा के माध्यम से तीर्थ नगरी हरिद्वार सहित अन्य स्थानों पर बसे पूर्वांचल समाज को लोगों को एक मंच पर लाकर एकजुट करने का प्रयास जारी हैं।