नितिन राणा
धर्मनगरी हरिद्वार पावन मां गंगा से जल भर कर आइए जानते हैं इसका विशेष महत्व । वैसे तो आप सभी जानते हैं कि विश्व विख्यात धर्मनगरी हरिद्वार हर की पौड़ी मां पावन गंगा हिंदू धर्म की मुख्य आस्था का स्थल माना जाता है लेकिन इस धार्मिक नगरी में समूचे विश्व भर से अलग-अलग धर्मों के लोग भी यहां आए दिनों तक यहां लगने वाले पवित्र कुंभ अर्थ कुंभ कावड़ व अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों को और जानने लिए हमेशा से मां पावन गंगा में एक डुबकी लगाने के लिए अपने को एक सबसे अधिक भाग्यवान महसूस करते हैं। बताते चलें कि विश्व विख्यात धर्म नगरी हर की पौड़ी यानी ब्रह्मकुंड एक अति पवित्र स्थल है वैसे तो यहां मनुष्य अपने अपने पित्र तर्पण कर अपने पूर्वजों अर्थात पितरों की मुक्ति व उनके मोक्ष लिए मोक्ष दायिनी मां गंगा मैं पिंड दान करते हैं।। लेकिन अपने समस्त कुल की रक्षा व सुख शांति के लिए भी तरह-तरह की पूजा अर्चना करते हैं। तथा इसी पवित्र ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाकर अपने समस्त पापों की मुक्ति पाने के लिए भी अपने को तृप्त महसूस करते हैं।
कावड़ यात्रा पुराणिक मान्यता के अनुसार पूर्ण सृष्टि की रचना रचने के लिए समुद्र मंथन हुआ तो 14 रत्नों में से विश का आविष्कार भी हुआ। जैसे ही भगवान भोलेनाथ ने सृष्टि को सुरक्षित रचना रचने के लिए सबसे जहरीले विश् को स्वयं धारण कर लिया जिसके पश्चात भगवान शिव नीले पढ़ने लगे पुराणिक कथा के मान्यता अनुसार भगवान भोलेनाथ का अति प्रिय भक्त श्री लंकापति रावण वहां पहुंचकर भगवान भोलेनाथ पर जल अर्पित कर लंका पति रावण को कावड़िया की प्रथम उपाधि मिली ।तब से जल की परंपरागत भगवान भोलेनाथ को जल अभिषेक करने की प्रथा भी चली आ रही है मां गंगा में अपने आराध्य देव को जल अभिषेक करने के लिए लाखों-करोड़ों संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब कावड़ियों के रूप में सैकड़ों मिलो से दूर सज धज कर व गाते बजाते नाचते अपने सभी प्रकार के वाहनों को सजा कर पावन मां गंगा से जल भरकर अपने अपने स्थान पर ले जाकर अपने आराध्य भगवान भोलेनाथ का जल अभिषेक कर पवित्र सावन माह में खुश कर अपने वह अपने परिवार की सुख शांति के लिए अपनी मनोकामना को पूर्ण करते हैं । अतः पुराणिक आधार पर यह भी मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ जब धरती पर अपने ससुराल आए तो सभी देवी देवताओं ने उनका जलाअभिषेक कर भव्य स्वागत किया तथा भक्तों कि यह भी प्रथा चली आ रही है यदि हम इस पवित्र मास को सच्चे दिल से जल , दुग्ध व रुद्राभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं तो भगवान भोलेनाथ अपने सभी प्रिय भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं