शिमला। अब हिमाचल प्रदेश में आप भी पशु-पक्षियों को गोद ले सकते हैं। राज्यपाल आर्लेकर ने राज्य पक्षी जाजुराना को गोद लिया है। अभी तक तीन पक्षी और एक तेंदुए को गोद लिया जा चुका है। इसके लिए वन विभाग बाकायदा मंजूरी भी देगा। वहीं इस पर सालाना खर्च पांच हजार से दो लाख तक आएगा। मगर आपको यह भी बता दें कि गोद लेने का अर्थ यह नहीं कि चिड़ियाघर से आपको जानवर को घर ले जाने की अनुमति होगी। मगर आप उनके खान-पान का खर्च उठा सकते हैं। अगर आप गोद लेते हैं तो वन विभाग आपके नाम की पट्टिका लगा देगा। जो व्यक्ति इसके लिए इच्छुक हैं वे वन विभाग की इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
वहीं अगर आप पशु-पक्षियों को गोद लेते हैं तो वन विभाग के पास आपको इसका सालान खर्च जमा करवाना होगा। इस वक्त हिमाचल प्रदेश में रेणुका, रिवाल्सर कुफरी सहित पांच बड़े चिड़ियाघर मौजूद हैं। वहीं आठ रेस्क्यू सेंटर भी हैं। यहां से पशु-पक्षी और जानवर गोद लिए जा सकते हैं। वहीं इस संबंध में प्रधान मुख्य संरक्षक (पीसीसीएफ) वन्यजीवी राजीव कुमार ने बताया कि इस योजना को अक्टूबर माह में शुरू किया गया था इसके तहत अभी तक 3 पक्षी वह एक तेंदुआ गोद में लिया गया है। इसमें राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हिमाचल के राजकीय पक्षी जाजुराना को गोद लिया है, इस योजना के तहत चिड़ियाघर में मौजूद तेंदुआ, शेर, भूरा भालू, काला भालू, हिमाचल के राज्य पक्षी जाजुराना समेत अन्य पशु पक्षियों को गोद लिया जा सकता है, हर पशु या पक्षी को गोद लेने के लिए एक निश्चित राशि रखी गई है। यह रकम सालाना 5 हजार रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक है। इस योजना में आप पूरा चिड़ियाघर या रेस्क्यू सेंटर भी गोद ले सकते हैं